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बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ नहीं मिले कोई ठोस सबूत! दो हफ्तों में दिल्ली पुलिस कर सकती है अपनी रिपोर्ट दाखिल

बृजभूषण शरण सिंह

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली पुलिस को कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। पहलवान पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं और बीजेपी सांसद पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। पहलवान उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद FIR और फिर आरोपों की जांच शुरू हुई थी। लेकिन सूत्रों की मानें तो बृज भूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को पर्याप्त सबूत नहीं मिले। दो हफ्ते में पुलिस अपनी रिपोर्ट दाखिल कर सकती है। यह चार्जशीट या अंतिम रिपोर्ट हो सकती है। 

 

पुलिस किसी भी मामले में फाइनल रिपोर्ट तब दाखिल करती है, जब आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलते है। रेसलिंग फेडरेशन चीफ के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे उन्हें गिरफ्तार किया जाए। पुलिस सूत्र ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि बड़ी संख्या में लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। कई गवाहों के बयान रिकॉर्ड किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट का ही एक जजमेंट कहता है जिस केस में सात साल की सजा है, उसमें गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं है। 

 

वहीं पुलिस सूत्रों की मानें तो आरोप पुराने हैं, इसलिए पुलिस ने जांच के बाद केस दर्ज किया। हमें ये अधिकार है कि हम जांच के बाद केस दर्ज करें। इस केस में कई डॉक्यूमेंट्स मिले हैं और अलग-अलग स्तर पर जांच चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 28 अप्रैल की शाम दो FIR दर्ज की गई थी। पहलवानों ने इसे जीत की तरफ पहला कदम बताया था। एक नाबालिग आरोपी की शिकायत पर पुलिस ने बृज भूषण शरण सिंह पर पॉक्सो एक्ट भी लगाया था। एक अन्य FIR बालिग पहलवानों की शिकायत पर दर्ज की। 

 

आपको बता दें कि, बृज भूषण शरण सिंह पर आईपीसी की धारा 354, 354ए, 354डी, पॉक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत केस दर्ज है। इनमें धारा 354, 354डी और पॉक्सो की धारा 10 नॉन-बेलेबल होते हैं। हलांकि, दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया जिसमें 41ए के तहत सात साल से कम सजा वाले केस में आरोपी की गिरफ्तारी जरूरी नहीं है।

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