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कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी पीएम मोदी के बयान पर मानहानि का केस करेंगी दाखिल, राज्यसभा में 2018 में पीएम मोदी ने दिया था एक बयान

रेणुका चौधरी

पीएम मोदी सरनेम वाले बयान के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी मुश्किल में हैं। सूरत की कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सज़ा सुनाई है। दूसरी तरफ बीजेपी राहुल गांधी के बयान को ओबीसी का अपमान बताते हुए कांग्रेस पर निशाना साध रही है।  इन सबके बीच कांग्रेस की नेता रेणुका चौधरी ने राज्यसभा में 7 फरवरी 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी के दिए गए एक बयान को लेकर कोर्ट में जाने का एलान कर दिया है। अब सवाल ये है कि क्या संसद की कार्यवाही के दौरान दिए गए बयान को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। 

 

क्या था मामला 

 

दरअसल 7 फरवरी 2018 को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी के बयान पर चुटकी ली थी। पीएम मोदी ने कार्यवाही के दौरान अपने भाषण में कहा था कि, मेरी प्रार्थना है कि रेणुका जी को कुछ भी नहीं कहिए। रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी सुनने का आज सौभाग्य मिला है। पीएम के इस बयान के बाद सदन में ठहाका गूंज उठा और बीजेपी के सांसद मेज थपथपाने लगे थे। रेणुका ने इसी बयान को लेकर अब कोर्ट में जाने का एलान किया है। रेणुका ने कहा कि, वह पीएम मोदी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराएंगी। रेणुका ने 23 मार्च को किए गए अपने एक ट्वीट में लिखा कि, इस भाषण के दौरान सदन में मुझे सूर्पनखा बताया गया है। मैं पीएम मोदी के खिलाफ मानहानी का केस दर्ज करूंगी। देखते हैं अदालत क्या एक्शन लेगी।  

 

कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने अपने ट्वीट में जो वीडियो शेयर किया है उसमें वह कहीं भी सूर्पनखा का नाम नहीं ले रहे हैं। दूसरी बात उनकी बात का आशय रेणुका चौधरी से ही था इसे भी कहना मुश्किल है। हलांकि पीएम मोदी के भाषण के बाद कांग्रेस ने इस मामले पर बड़ा बवाल किया था और उनसे माफी की मांग की थी। अब रेणुका चौधरी के मानहानि केस की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। आखिर 5 साल के बाद चौधरी ने क्यों इस बयान को कोर्ट में चुनौती देने का मन बनाया है। 

 

ऐसे मामले में क्या हो सकता है 

 

अगर सदन की कार्यवाही के दौरान कोई भी सदस्य ऐसे शब्दों का चयन करता है जो सदन की मर्यादा के अनुकूल नहीं है तो उसे कार्यवाही से हटा दिया जाता है। इसका फैसला राज्यसभा के सभापति या लोकसभा के अध्यक्ष के पास होता है। पीएम ने जो बयान दिया था उसे सदन की कार्यवाही से हटाया भी नहीं गया था। वहीं गौतम अडाणी पर केंद्र सरकार को घेरने के दौरान राहुल गांधी के कुछ बयान को लोकसभा की कार्यवाही से अध्यक्ष ने हटा दिया था। 

 

संविधान के आर्टिकल में ये कहा गया है कि सदन की कार्यवाही को किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। पीएम मोदी ने जो भी राज्यसभा में कहा है वह मामला सीधे तौर पर सभापति के अधीन आता है। अगर इसपर कोई कार्यवाही भी होगी तो वो सीधे-सीधे सभापति ही करेंगे। संविधान के दोनों अनुच्छेद में इस बारे में साफ-साफ उल्लेख है। दूसरी बात अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी ने किसी का नाम नहीं लिया है। ऐसे में यह मामला कोर्ट में टिक ही नहीं सकता है।

 

रेणुका चौधरी पर उठे सवाल

 

रेणुका चौधरी ने अभी जो पीएम मोदी के खिलाफ मानहानि का केस करने का दावा किया है इसे लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल राहुल गांधी को सजा के बाद ही रेणुका चौधरी ने ऐसा क्यों सोचा है। साल 2018 के मामले को 2023 में क्यों उठा रही है। जैसे तमाम सवाल है।

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