अडानी के मुद्दे पर डरे हुए हैं पीएम मोदी, मुझे संसद में बोलने नहीं दिया जाएगा, चार मंत्रियों ने मुझपर लगाए हैं गंभीर आरोप

- Post By Gandharv
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के लंदन स्थित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में दिए गए बयान के कारण पिछले तीन दिनों से संसद में हंगामा मचा हुआ है। हाल ही में लंदन दौरे पर उन्होंने भारत के लोकतंत्र को लेकर जो टिप्पणी की थी उसपर सरकार की तरफ से उन्हें लगातार घेरा जा रहा है और उनसे माफी मांगने को कहा जा रहा है। इस बीच राहुल गांधी ने आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात उनसे अपनी बात लोकसभा में रखने की मांग की है। इसके साथ ही राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेस की और कहा कि आज मेरे संसद में आते ही एक मिनट में संसद स्थगित हो गई। उम्मीद है कि कल मुझे बोलने देंगे, लेकिन मुझे पक्का नहीं लगाता है।
उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले नरेंद्र मोदी जी और अडानी जी के बारे में मैंने जो सवाल पूछे थे, उस भाषण को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया। उसकी सारी बातें मैंने पब्लिक डोमेन से निकाली थी। उस भाषण में ऐसी कोई चीज नहीं थी जो सार्वजनिक रिकॉड में ना हो। सरकार अडानी जी से डरी हुई है, इसलिए ये सारा तमाशा हो रहा है।
राहुल गांधी ने कहा कि मुझे लगता है कि मुझे संसद में नहीं बोलने देंगे। चार मंत्रियों ने मेरे खिलाफ आरोप लगाए हैं और मेरी जिम्मेदारी जवाब देने की बनती है। इसलिए मैं लोकसभा स्पीकर के पास गया और उनसे कहा कि मुझे सदन में बोलने दें। सरकार जो कर रही है वो अडानी के मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए कर रही है।
राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी अडानी के मुद्दे से डरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि, मैंने पूछा था कि पीएम मोदी और अडानी का रिश्ता क्या है। अडानी से जुड़े सवालों के जवाब नहीं दिए जा रहे हैं। मैं जानना चाहता हूं कि एक सांसद होने के नाते मैं पहले सदन में डिटेल में अपनी बात कहूं, इसलिए यहां आप लोगों के सामने पहले से ज्यादा डिटेल में जाना नहीं चाहता हूं।
राहुल गांधी ने कहा कि, उन्होंने भारत या भारतीय संसद के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है और यदि उन्हें संसद में बोलने की अनुमति मिलेगी तो वह इस बारे में अपना पक्ष रखेंगे। लंदन से लौटने के बाद राहुल गांधी पहली बार बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद पहुंचे थे।
दरअसल राहुल गांधी ने लंदन में कहा था कि भारतीय लोकतंत्र के ढांचे पर लगातार हमले हो रहे हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि अमेरिका और यूरोप समेत दुनिया के लोकतांत्रिक हिस्से इस पर ध्यान देने में नाकाम रहे हैं।
Share this article on WhatsApp, LinkedIn and Twitter
Categories
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!
Comment / Reply From
You May Also Like
Categories
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!